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भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है, लेकिन जब यह स्वतंत्रता किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए इस्तेमाल की जाए, तो सवाल उठाना जरूरी हो जाता है।

हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें वज़ाहत खान नामक व्यक्ति ने शरमिष्ठा पानौली के खिलाफ धार्मिक भावना आहत करने की शिकायत दर्ज कराई।

लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि वज़ाहत खान स्वयं लंबे समय से हिंदू धर्म, देवी-देवताओं और मंदिरों के खिलाफ आपत्तिजनक व अपमानजनक पोस्ट करता रहा है। वजहत खान पर 2 FIR होने के बावजूद बावजूद, कोलकाता पुलिस ने इसे गिरफ़्तार नहीं किया है।

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम विशाल कुमार सिंह है और आप ये वीडियो देख रहे है bharatidea पर।

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जो लोग नहीं जानते उनको बता दे की कोलकाता स्थित रशीदी फाउंडेशन के कट्टरपंथी प्रमुख वज़ाहत खान ने गुड़गांव से 1500 किमी दूर एक हिंदू लड़की, शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी का श्रेय लिया। शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में वजाहत खान और इसके रशीदी फाउंडेशन का नाम भी शामिल है।

शर्मिष्ठा ने पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए वीडियो डाला, जिससे कथित रूप से भारतीय मुसलमान 'नाराज' हो गए और उसे जान व बलात्कार की धमकियाँ मिलने लगी थी।

पीड़िता होने के बावजूद शर्मिष्ठा पनोली को गिरफ्तार कर लिया गया, उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई और उन्हें 2 सप्ताह की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस दौरान वज़ाहत खान अन्य मुस्लिम युवकों के साथ उनकी गिरफ्तारी का जश्न मनाते भी देखा गया।

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लेकिन इसके कुछ समय बाद सोशल मीडिया पर खुद वज़ाहत खान की पुरानी पोस्ट्स वायरल होने लगी , जिनमें वो हिंदू धर्म और देवी-देवताओं का मज़ाक उड़ा रहा था। इन पोस्ट की भाषा इतनी खराब है कि वो भाषा हम आपको पढ़ कर नहीं बता सकते आपको ये पोस्ट हमारे टेलीग्राम चैनल पर मिल जाएंगे। ये रही उन पोस्ट्स की तारीखें:

  1. 13 दिसंबर 2023 – वज़ाहत खान ने एक पोस्ट में एक देवी मंदिर का अपमान किया। इस पोस्ट में देवी की पूजा की परंपरा का मज़ाक उड़ाया गया था, जो करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र है।

  2. 22 मार्च 2024 – इस दिन वज़ाहत खान ने हिंदू धर्म के खिलाफ एक आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिसमें उसने पूरे धर्म को "अंधविश्वास" कहकर संबोधित किया और धार्मिक रीति-रिवाज़ों की खुलकर आलोचना की।

  3. 25 मार्च 2024 : पारिवारिक संबंध पर गंदी व अपमानजनक टिप्पणी कर हिंदू धर्म का मजाक उड़ाया

  4. 7 जून 2024 – वज़ाहत खान ने भगवान श्रीकृष्ण के ऊपर एक अशोभनीय टिप्पणी की, जिससे करोड़ों कृष्णभक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंची।

  5. 15 मई 2025 : भगवान श्री कृष्ण व उनकी गोपियों पर विवादित टिप्पणी की

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सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने और दो धर्मों के बीच नफरत फैलाने के उद्देश्य से वज़ाहत खान द्वारा किए गए आपत्तिजनक पोस्ट्स के खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। उसके खिलाफ दो शिकायतें दर्ज की गई हैं, फिर भी कोलकाता पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

यह वही पुलिस है जो 22 वर्षीय हिंदू लड़की शर्मिष्ठा पनोली को गिरफ्तार करने के लिए 1500 किलोमीटर का सफर तय कर सकती है, लेकिन अपने ही शहर कोलकाता में रहने वाले मुस्लिम युवक वज़ाहत खान के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी। यह भेदभावपूर्ण रवैया न्याय और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

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विवाद की जड़ बनी शरमिष्ठा पानौली का एक वीडियो, जो उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बनाया था। वीडियो में उन्होंने पाकिस्तानी ट्रोल्स को जवाब देते हुए कुछ तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिनमें से कुछ को हिंदू विरोधी बताते हुए वज़ाहत खान ने FIR करवाई।

लेकिन शरमिष्ठा ने अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए तत्काल वीडियो हटा दिया और कई बार सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करना नहीं था, बल्कि ट्रोल्स को जवाब देना था।

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एक ओर वज़ाहत खान ने शरमिष्ठा पर धार्मिक भावना आहत करने का आरोप लगाया, वहीं दूसरी ओर वह खुद लंबे समय से ऐसी पोस्ट करता रहा है जो हिंदू समुदाय की भावना को ठेस पहुंचाती हैं। लेकिन वज़ाहत खान ने:

  • ना तो कभी माफी मांगी

  • ना ही अपनी पोस्ट्स डिलीट कीं, जब तक कि वे सोशल मीडिया पर वायरल नहीं हो गईं

  • और अब अपना अकाउंट लॉक करके और पोस्ट्स हटाकर खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है

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यह साफ तौर पर दोहरे मापदंड की मिसाल है। जब वही बातें किसी दूसरे समुदाय द्वारा कही जाती हैं, तो उसे धार्मिक भावना आहत करने का मामला बना दिया जाता है। लेकिन खुद वही व्यक्ति जब दूसरों की आस्था का मज़ाक उड़ाता है, तो उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नाम दे दिया जाता है।

सवाल उठते हैं...

  • क्या कानून सबके लिए बराबर है?

  • क्या हिंदू धर्म की भावनाएं आहत करना अपराध नहीं है?

  • क्या माफी मांगने और वीडियो हटाने के बाद भी किसी को सज़ा मिलनी चाहिए?

  • और क्या वो लोग जो खुद बार-बार एक धर्म को निशाना बनाते हैं, दूसरों के खिलाफ कार्यवाही करवाने के योग्य हैं?

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समाज को समझना होगा – एकतरफा कार्रवाई नहीं चलेगी

भारत जैसे बहुधार्मिक देश में एक-दूसरे के धर्म और आस्थाओं का सम्मान करना अत्यंत आवश्यक है। अगर एक समुदाय के लोग अपने धर्म के अपमान पर कार्रवाई चाहते हैं, तो उन्हें यह भी देखना होगा कि वे खुद दूसरों की आस्था के प्रति कितने संवेदनशील हैं।

वज़ाहत खान की इस कार्रवाई ने यह दिखा दिया है कि कुछ लोग केवल अपनी सुविधा के अनुसार ‘धार्मिक भावना आहत’ का मुद्दा उठाते हैं, जबकि खुद वही लोग वर्षों से दूसरे धर्मों की बेइज्जती करते रहे हैं। शरमिष्ठा ने माफी मांगकर परिपक्वता दिखाई, जबकि वज़ाहत ने छिपने का रास्ता चुना।

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इस पूरे मामले ने सोशल मीडिया पर धार्मिक असहिष्णुता, दोहरे मापदंड और कानून के दुरुपयोग की बहस को फिर से हवा दे दी है।

अगर देश में धार्मिक सद्भाव बनाए रखना है, तो सभी समुदायों को बराबरी से कानून के दायरे में लाना होगा। वज़ाहत खान जैसे लोगों की गतिविधियों की उचित जांच होनी चाहिए और यदि उन्होंने सच में धार्मिक भावना आहत की है, तो उनके खिलाफ भी वैसी ही कार्रवाई होनी चाहिए, जैसी वे दूसरों के लिए मांगते हैं।

कानून का सम्मान तभी होगा जब वह सबके लिए बराबरी से लागू हो — ना कि चुनिंदा लोगों के लिए। अब समय आ गया है कि सिर्फ शरमिष्ठा ही नहीं, बल्कि वज़ाहत खान जैसे लोग भी जवाबदेह बनें।